Children Day Special: आपके गलत अनुशासन से भी होता है बच्चों की सेहत पर असर

Children Day Special: आपके गलत अनुशासन से भी होता है बच्चों की सेहत पर असर

सेहतराग टीम

बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसका अपना एक व्यक्तित्व बनने लगता है। हम सब माता पिता चाहते हैं कि बच्चा अच्छा व्यवहार करे, उसकी आदतें अच्छी, जो आगे के जीवन में उसकी सहायक बनें। हमारे चाहने और नेक इरादों के बावजूद कई बार बच्चा हमारी बात नहीं मानता। इससे उसे सुधारने की प्रक्रिया में संघर्ष शुरू हो जाता है, जो अक्सर उसकी पिटाई पर समाप्त होता है।

हम सब जानते हैं कि पिटाई करना एक नकारात्मक व्यवहार है और इसका असर केवल थोड़ी देर ही रहता है। इसलिए बाद में आत्मग्लानि भी होती है। अपने सबसे निकटतम प्रियजन से पिटाई पाकर वह अत्यधिक आहत होता है और उसका भरोसा भी कम हो जाता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से यह पाया गया है कि जिन बच्चों की बचपन में ज्यादा पिटाई हुई है, वे बड़े होकर हिंसा का रास्ता चुनते हैं।

बच्चे अनुशासित हो, और वह भी बगैर पिटाई जैसे नकारात्मक व्यवहार के,तो सोने पर सुहागा, इसका सबसे प्रभावी व वैज्ञानिक सिद्धांत है- पॉजिटिव एवं नेगेटिव मतलब उचित और अनुचित व्यवहार को मजबूत और कमजोर करना।

Positive reinforcement का मतलब है कि बच्चे के उचित व्यवहार करने पर उसकी तारीफ करना, प्यार करना और पुरस्कृत करना।

Negative reinforcement का मतलब है कि बच्चे पर ध्यान न देना या उसकी उपेक्षा करना। ऐसा करने से अधिकतर बच्चे अनुचित, अनचाहा व्यवहार अपने आप छोड़ देते हैं।

आप कहेगें कि ऐसा करने के बाद भी कुछ व्यवहार ऐसे हैं, जो कि उसके लिए खतरनाक है या फिर भी वह उपेक्षा के बाद भी नहीं छोड़ता, ऐसे में बच्चे को सक्रिय होकर रोकें, तब उपेक्षा से बात नहीं बनती है।

ये होता है असर-

  • अक्सर बच्चों को मरने व पीटने से पहले कई बार जरूर सोचें क्योंकि अक्सर बच्चे को अनुशासन सिखाने के जगह मारा पीटा जाता है जिससे बच्चे को अंदर से आघात होता है और वह मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं।
  • अगर आप अपने बच्चों को खूब मारती-पीटती हैं, तो ऐसे में उन्हें धीरे-धीरे यह लगने लगता है कि दुनिया में हर काम मार-पीट और हिंसा से ही किया जा सकता है। ऐसे बच्चे ही बड़े होकर, धौंस जमाकर या फिर मार-पीट से अपना काम करवाने को सही तरीका मान बैठते हैं।
  • बच्चा आपके डर से घर के बाहर निकलना बंद कर देगा। उसकी शारीरिक सक्रियता कम हो जाएगी और कई तरह की बीमारियां उसे अपना शिकार बना लेंगी।
  • याद रखिए मां-बाप ही बच्चे की रक्षा करते हैं। ऐसे में अगर वही हिंसक हो जाएंगे तो बच्चा धीरे-धीरे अपना आत्मविश्वास खो देगा। अगर आप चाहती हैं कि बच्चा बड़ा होकर आत्मविश्वास से भरपूर एक बेहतर इंसान बने तो उसे मारना-पीटना बंद करें और उसे एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करें।
  • अगर आप बच्चे को मारती हैं तो उसके अंदर मारने वाले के प्रति घृणा पैदा हो जाती है। यह घृणा अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है।
  • वे आपसे धीरे-धीरे अपने मन की बातें शेयर करना बंद कर देंगे।
  • बच्चों को मारने-पीटने से उनके अंदर एक झिझक-सी पैदा हो जाती है। वे अपनी बातें किसी के साथ साझा करने में झिझक महसूस   करते हैं और अंतर्मुखी स्वभाव के बन जाते हैं।

(यह आलेख प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किताब शिशु हेल्थ गाइड से साभार लिया गया है। यह किताब डॉ. आलोख खन्ना और डॉ. विजय लक्ष्मी सूद द्वारा लिखी गयी है।)

 

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